कृष्णमूर्ति पद्धति एक प्राचीन ज्योतिष विधि है जिसका प्रयोग कृष्णमूर्ति पद्धति से फलकथन के लिए किया जाता है। इस पद्धति में ग्रहों की स्थिति, नक्षत्रों की गणना और विशेष संख्याओं का मिलान कर भविष्य के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। यह विधि अपने सटीक परिणामों के लिए प्रसिद्ध है।
कृष्णमूर्ति पद्धति का नाम स्वयं महर्षि कृष्णमूर्ति के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस विधि को विकसित किया था। महर्षि ने अपने दीर्घकालिक अनुभव और गहरी बुद्धि के आधार पर इस पद्धति को सिद्ध किया था। वे अंतरिक्ष और ग्रहों के गतिविधि के प्रति गहरी समझ रखते थे।
इस पद्धति में, व्यक्ति का जन्मपत्रिका अध्ययन किया जाता है और फिर विभिन्न ग्रहों की गति, नक्षत्रों की स्थिति आदि पर विचार किया जाता है। इन विभिन्न तत्वों का गणितीय मिलान किया जाता है और सटीक गणनाओं के आधार पर भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।
कृष्णमूर्ति पद्धति सिर्फ भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी नहीं करती बल्कि जीवन की विभिन्न चुनौतियों और उनके समाधानों के बारे में भी बताती है। इससे व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
आज के समय में कृष्णमूर्ति पद्धति को कई ज्योतिषी अपनाते हैं और लोग अपने भविष्य को जानने के लिए इस पद्धति का सहारा लेते हैं। यह प्राचीन ज्ञान आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बना हुआ है।
Comments