कारकांश कुंडली एक विशेष प्रकार की जन्मकुंडली है जिसमें कारकांश लग्न के आधार पर फलकथन किया जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है जो वैदिक ज्योतिष शास्त्र से ली गई है। कारकांश लग्न वह लग्न बिंदु होता है जिससे सभी ग्रहों के कारक अर्थात् फलादेश निर्धारित किए जाते हैं।
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन एक अनूठा और गहन विधि है। इसमें सबसे पहले कारकांश लग्न की गणना की जाती है। यह मूल लग्न से कुछ अंश आगे या पीछे होता है। फिर इस कारकांश लग्न से सभी ग्रहों के कारक बनाए जाते हैं। इन कारकांशों पर विशेष महत्व दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि कारकांश लग्न मिथुन राशि में है तो वृषभ राशि से पुत्र कारक बनेगा, मिथुन से धन कारक और इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए। इन कारकों के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पक्षों जैसे संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि का फलादेश किया जाता है।
इस प्रकार कारकांश लग्न फलित कुंडली कहीं अधिक गहन और विस्तृत होती है। इसमें व्यक्ति के भाग्य की सटीक भविष्यवाणी की जाती है। हालांकि यह जटिल विधि है और इसके लिए गहन ज्ञान एवं अनुभव की आवश्यकता होती है।
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